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30 Jan 2018 · 1 min read

ना जाने कब वो तूफान आयेगा

जो हर घर को करे रोशन, ना जाने कब वो बिहान आयेगा।
हर शख्स पास करे जिसको, ना जाने कब वो इम्तिहान आयेगा।
यहाँ अपनों को भी लूटनें में लगें हैं सभी,
जो गैरों का भी घर भर दे, ना जाने कब वो ईमान आयेगा।
बिखेरें हैं आँधियों ने आशियाने गरीबों के,
जो बिछड़ों को मिला दे, ना जाने कब वो तूफान आयेगा।।

ऐ रहनुमाओं बहुत हुआ झूठ अब बस भी करो,
वरना धरती पर एक दिन आसमान आयेगा।
पाप करते हो तो बेझिझक करो,
मगर ये ध्यान रहे, एक दिन तुम्हारा भी अंज़ाम आयेगा।।

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