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27 Sep 2017 · 1 min read

#छप्पय छंद

★परिभाषा★

रोला + उल्लाला = छप्पय छंद

छप्पय छंद में कुंडलिया छंद की तरह छह चरण होते हैं,
प्रथम चार चरण रोला छंद के होते हैं ; जिसके प्रत्येक चरण में
24-24 मात्राएँ होती हैं , यति 11-13 पर होती है।

प्रत्येक चरण के अंत में दो गुरू या एक गुरू दो लघु या
दो लघु एक गुरू का होना अनिवार्य है।

आखिर के दो सम चरण उल्लाला छंद के होते हैं।
प्रत्येक चरण में 26-26 मात्राएँ होती हैं।
चरण की यति13-13 मात्राओं पर होती है ;
जो दोहा छंद के विषम चरणों की तरह ही होते हैंं।
जिसमें ग्यारहवीं मात्रा लघु और इसके बाद एक गुरू या
दो लघु मात्राएँ होनी अनिवार्य हैं।

इस प्रकार रोला और उल्लाला छंद मिलकर छप्पय छंद बनाते हैं।
यह एक प्राचीन छंद है।

★इसे उदाहरण द्वारा ठीक प्रकार से समझा जा सकता है।★

उदाहरण-

बोलो मीठे बोल , सभी के मन को भाएँ।
बढ़े आपका मान , प्रीति सबसे करवाएँ।
रिश्ते करें अटूट , महक जाएँ घर-आँगन।
पुष्प खिलेंं हर डाल , हँसे जैसे मन मधुबन।-(रोला)
धरा बने जब स्वर्ग-सी , प्रेम भरे हों गान सब।
आना चाहें देव भी , समझें इसको आन सब।।-(उल्लाला)

#आर.एस. ‘प्रीतम’

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Language: Hindi
6 Likes · 2 Comments · 19456 Views
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