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23 Aug 2017 · 1 min read

आज फिर एक उमंग सी जगी है

Disclaimer : इस कविता के सभी पात्र एवं घटनाएँ काल्पनिक हैं। इनका किसी भी व्यक्ति, वस्तु अथवा स्थान से कोई संबंध नहीं है। अगर कोई समानता पाई जाती है तो उसे मात्र एक संयोग माना जाएगा।।

आज फिर दिल में एक उमंग सी जगी है,
आज फिर वो दिखी, और दिल में एक जंग सी लगी है।

वो सफेद सूट, लाल दुपट्टा,
वो शेरनी जैसी चमकती आंखें,
वो अधखिले गुलाब की पंखुड़ियों से होंठ,
वो मुझे जीवन के हर रंग सी लगी है।
आज फिर दिल में…………।।

कभी दिल को ऐसे मना लेता हूँ,
कभी वैसे मना लेता हूँ,
अगर कभी बेचैन होता हूँ तो गुनगुना लेता हूँ,
लेकिन ये जो लोग हैं वो जज्बात नहीं समझते।,
ये इस दिल की बात नहीं समझते,
कभी सोचता हूँ, कह दूँ, कभी सोचता हूँ चुप रहूँ,
एक कश्मकश सी लगी है।
आज फिर दिल में एक उमंग सी जगी है।।

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