अपनी बदनामी और ज्यादा——— ?

अपनी बदनामी और ज्यादा, नहीं करवाना चाहते हम।
कदम अब तेरी दर पर यार, नहीं रखना चाहते हम।।
अपनी बदनामी और ज्यादा——————-।।
बहुत गलत समझा है हमको, मगर हम नहीं है वैसे।
हमको बहुत प्यारी है इज्जत, हमें नहीं चाहिए पैसे।।
चन्द रुपयों के लिए शान अपनी, नहीं खोना चाहते हम।
अपनी बदनामी और ज्यादा——————।।
कहो कब हमने तेरा यार, बुरा सोचा है सच कह दो।
खुशी क्या नहीं दी तुमको, वहम तुम अपना मिटा दो।।
अब तुमसे प्यार और ज्यादा, नहीं करना चाहते हम।
अपनी बदनामी और ज्यादा——————।।
चिराग तुम्हें दिल का समझकर, किया था रोशन कल तुमको।
अपने चमन का फूल समझकर, महकाया था हमने तुमको।।
तुम्हारे लिए और लहू यार, नहीं बहाना चाहते हम।
अपनी बदनामी और ज्यादा——————।।
समझना ऐसा नहीं तुम, जी नहीं सकते तेरे बिन।
बहुत याद हम तुमको करेंगे, कटेंगे मुश्किल से दिन।।
बर्बादी तुमसे और ज्यादा, नहीं करवाना चाहते हम।
अपनी बदनामी और ज्यादा——————।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)