“अपन भाषा “
डॉ लक्ष्मण झा परिमल
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केना मैथिल बुझब हमरा
नहिं हम घर मे बाजैत छी
लिपि केर ज्ञान नहिं बुझल
नहिं बच्चा केँ पढ़बैत छी !!
करू आहाँ प्रेम भाषा सँ
अपन गौरव केँ आहाँ जानू
जे बालक कोख सँ जनमल
ओहि जननी केँ आहाँ मानू!!
@ परिमल