संत सुंदर दास का भक्ति साहित्य

मरू प्रदेश राजस्थान के ढूंढाड अचल का दौसा जनपद अपनी गौरवशाली ऐतिहासिक सांस्कृतिक धार्मिक व राजनीतिक विरासत को सजोय हुए है । शेख जमाल हकीमुद्दीन शाह की कर्म स्थली संत सुंदर दास व अन्य संत पुरुषों की जन्मस्थली दौसा का एक गौरवशाली इतिहास रहा है । इसमें संत सुंदर दास और उनके साहित्य ने देश की सीमा को पार कर भी अलख जगायी है। दादू पंथी सुन्दर दास के कारण आज दौसा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना चुका है । देवनगरी के नाम से विख्यात दौसा की पावन धरा पर चैत्र शुक्ल नवमी को संवत 1653 में संत सुंदर दास का जन्म हुआ । इनके पिता का नाम परमानंद बूसर व माता का नाम सती था । बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि सुंदर दास आध्यात्मिक प्रवृत्ति का बालक था । बड़ा होकर यह बालक संत सुंदर दास के नाम से जगत में विख्यात हुआ । संत सुंदर दास का भक्ति साहित्य बहुत ही रोचक व ज्ञान वर्धक है। संत सुंदर के भक्ति साहित्य को लगभग पांच दर्जन पुस्तकों में अलग-अलग वर्णो में समझाया गया है । संत सुंदर की पुस्तक सुंदर विलास से ज्ञान सुंदर बहुत ही उच्च कोटि के साहित्य के रूप में जाना जाता है । संत की भाषा लोक साहित्य की होने के कारण आम जन को उनकी बातों के अर्थ को समझने में कठिनाई नहीं होती । ज्ञान समुद्र सुंदर दास जी की काव्यात्मक भक्ति रचनाओं का संग्रह है जो छंदों के रूप में है जो गुरु शिष्य के प्रश्न उत्तर पर आधारित है । इस ग्रंथ में साख्य शास्त्र भक्ति योग आध्यात्मिक विद्या सम्मिलित है । अगर हम संत दास के सुंदर विलास नामक ग्रंथ का अवलोकन करें तो इनमें हम लगभग 500 से भी अधिक छंदों को पाते हैं जो की ज्ञान रस भक्ति रस और वैराग्य रस का आभास हमें करते हैं । संत सुंदर दास के छन्द भक्ति के साथ-साथ सामाजिक चेतना का संचार भी करते हैं वहीं दूसरी तरफ संत जी की पदावली की पुस्तक पदावली ग्रंथ में हमें उनके लिखे हुए लगभग 200 पद मिलते हैं । जिससे साध संगत गुरु की महिमा का ब्योरा भक्ति जन चेतना उपदेश व योग रहस्य का सुंदर व लोक व्यावहारिक वर्णन मिलता है । इनके अलावा सुंदर दास जी की भक्ति रस की पुस्तक भी है जो हमे इनके भक्तिपूर्ण जीवन की महिमा का वर्णन कराती है । सुंदर दास जी की अन्य पुस्तक अष्टक ग्रंथ सहजानंद रामाष्टक भ्रम विध्वंस अष्टक गुरु उपदेश ज्ञान अष्टक गुरु कृपा अष्टक गुरु महिमा स्तोत्रष्टक वेद विचार पंच इंद्रिय चरित्र सुख समाधि संवाग योग प्रदीपिका स्वप्न प्रबोध पंच प्रभाव गुढार्थक रचनाएं गुरुदया षटपदी अद्भुत उपदेश गुरु वैराग्य बोध नामाष्टक आदि हैं । हिंदुस्तान के सर्वोच्च संतों में सुंदर दास जी की गिनती होती है । तुकाराम नित्यानंद ज्ञान देव जैसे संतों की भाति सुंदर दास भी बहुत तेजस्वी संत हुए हैं ।दौसा को उनकी जन्म भूमि होने का गौरव प्राप्त है । 6 अप्रैल 2025 को देशभर में संत सुंदर दास की 430 सी जयंती वैश्य खंडेलवाल समाज मान रहा है। संत सुंदर दास की जन्मस्थली दौसा में वर्ष 2015-16 में तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अपने बजट घोषणा के पैरा संख्या 53.2 .0 वित्तीय स्वीकृति 446.72लाख रुपया स्वीकृत कर संत सुंदर दास पैनोरमा का निर्माण करवाया था। लालसोट बायपास रोड पर संत सुंदर दास के जीवन चरित्र को संजोये लाल पत्थर से बने इस भव्य पैनोरमा का लोकार्पण 27 सितंबर 2018 को मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के हाथों किया गया था । इसी पैनोरमा में संत सुंदर दास की 430 वी जयंती की पूर्व संध्या 5 अप्रैल 2025 को संत सुंदर दास जन्मभूमि विकास संस्थान एवं संत सुंदर दास पैनोरमा दौसा के संयुक्त तत्वावधान में कवि सम्मेलन एवं सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया गया जिसमें मुख्य अतिथि राजस्थान धरोहर प्राधिकरण के अध्यक्ष औकार सिंह लखावत रहे । संत सुंदर दास जन्मभूमि विकास संस्थान दौसा के अध्यक्ष मनोहर लाल गुप्ता द्वारा कवि व सुंदर दास जी पर लिखने वाले साहित्यकारों व अन्य संस्थाओं को संत सुंदर दास अवार्ड 2025 से नवाजा गया। संत शिरोमणि सुंदर दास की जयंती के अवसर पर संत सुंदर दास जन्मभूमि विकास संस्थान दौसा कि यह अच्छी पहल थी लेकिन व्यापक जन प्रसार प्रचार के अभाव में यह आयोजन केवल खंडेलवाल समाज का आयोजन बन कर रह गया। आयोजन में पधारे एक दो कवियों ने ही सुंदर दास जी पर मुक्तक व कविता पढी वही खंडेलवाल समाज के युवाओं द्वारा निकल गई मोटरसाइकिल रैली में भी किसी ने भी हेलमेट नहीं लगा रखा था अगर यह बाइक रैली हेलमेट लगाकर शहर के मुख्य मार्गो से निकलती तो दो पहिया वाहन चालकों को हेलमेट लगाने का एक अच्छा संदेश भी दे सकती थी । दौसा में जन्मे अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त संत सुंदर दास पर बहुत काम होना बाकी है। राजस्थान विश्वविद्यालय में उनके नाम से एक पीठ का गठन किया जाए और संत सुंदर दास के साहित्य को तुलसी व कबीर की भांति पाठ्य पुस्तक में सम्मिलित किया जाए जिसमें संत जी के साहित्य पर शोध कार्य हो सके और भावी पीढी उनके साहित्य को समझ सके । जिला प्रशासन द्वारा भी संत सुंदर दास पैनोरमा मे राष्ट्रीय स्तर की सेमिनार आयोजित की जानी चाहिए जिसमें खंडेलवाल समाज ही नहीं बल्कि सर्व समाज की भागीदारी बने ताकि दौसा में जन्मे संत शिरोमणि सुंदर दास के साहित्य को जन जन तक पहुंचाया जा सके । संत सुंदर दास की 430 वी जयंती की पूर्व संध्या पर कवि सम्मेलन व सांस्कृतिक संध्या आयोजित करवाने और संत सुंदर दास के नाम से श्रेष्ठ कार्य करने वालों को अवार्ड देना एक अच्छी पहल है। जिसके लिए संत सुंदर दास विकास संस्थान दौसा के अध्यक्ष मनोहर लाल गुप्ता धरोहर प्राधिकरण के अध्यक्ष ओंकार सिंह लखावत व जिला प्रशासन को बहुत-बहुत बधाई। डॉ राजेंद्र यादव आजाद दौसा राजस्थान मोबाइल 94 1427 1288