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25 Apr 2024 · 1 min read

संवेदना बोलती आँखों से 🙏

संवेदना बोल रही आंखों से🙏

🍀☘️🙏🍀☘️❤️🍀☘️

भरी रसीली लाल रंजीत सी
सागर सी आंखे संवेदना की

आस अरमान से निहार रही
लम्हा लम्हा तनहा गुजार रही

निज वेदना को खुद समझाती
पर संवेदन पास नहीं है आती

चेतन हीन संवेदन विहीन हो
निर्जन में ताक रहा है घाती

दम्भी ताकत घूम रहा वादी
सुख संवेदना जरा ना भाती

आस संभावना आहें भरती
हर्ष विषाद में लम्हें गुजरती

मन मंदिर की आँखें प्रतिपल
टक टक बोलती घड़ी देखती

पल पल टन टन घंटी बजती
संवेदन काल चक्र समझाती

मूक-बधिर जन तन देखता है
बैठ अकेला होनी अनहोनी का

स्वयं से बातें कर काल गणना
करने में प्रतिपल लगा रहता है

प्रेम प्यार तनहा में मूक संवेदना
विरह मिलन का याद दिलाती है

लाल अम्बर में तारे सी पुतली
फिरकी बन बातें करती आंखें

अर्द्ध सत्य है सच बिना अधूरा
चेतनहीन संवेदन विहीन हो

भागोगे कितना औरों को रुलाया
और हँसाया है जग में जितना

सपने तेरी काया माया सब तेरी
वो सुहानी रातें उषा निशा है तेरी

समझ संवेदना जीवन है तेरी
तेरी मेरी की जग में तू अकेली

दर्द चुभन जीवन पथ है संगीन
तेरा कौन करता पथ निर्देशक

मैं तेरा तू मेरा कोई नहीं यहाँ है
कर्म प्रधान जगत में स्नेह प्रेम

धर्म कर्म सत्य संवेदना है तेरा
वेंदना तनहा में आँख मिचौली

छुपम छुपाई खेल खिलाड़ी
संग सहेली शक्ति लाड़ली

पथ निर्देशक साथ निभाने
शून्य क्षितिज पर की राही

धारणा जागरूकता अनुभूति
दिल संवेदना ही जीवन है भाई ।

☘️🍀🙏🙏☘️🍀🙏🙏
तारकेशवर प्रसाद तरूण

3 Likes · 124 Views
Books from तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
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