Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Jan 2024 · 1 min read

हमें सुहाता जाड़ा

हमें सुहाता जाड़ा।

ठंड बढ़ी है जबसे , तबसे सबकी शामत आई,
स्वेटर, टोपी, मफलर कंबल पड़ने लगे दिखाई
हाड़ कॅंपाता दॉंत किटकिटा, सता रहा है जाड़ा
दुबके हुए रजाई में बस पढ़ते रहो पहाड़ा।
सूरज को ढक बादल बोले, पड़े रहो चुपचाप,
कोहरा बोला तभी अकड़कर, मैं हूॅं सबका बाप।
विद्यालय भी बंद हो गये, कैसे करें पढ़ाई,
उधर किचन में मम्मी जी की दिन भर चढ़ी कढ़ाई।
तिल के लड्डू, गाजर हलवा, दिन भर बनता रहता,
दिन भर छोटू टीवी खोले गेम खेलता रहता।
गरमागरम चाय मिलती है, ज्यों अदरक का काढ़ा।
भले सताता हो बूढ़ों को हमें सुहाता जाड़ा।।
श्रीकृष्ण शुक्ल,
T 5 / 1103,
आकाश रेजीडेंसी,
मधुबनी के पीछे,
कांठ रोड, मुरादाबाद।

94 Views

You may also like these posts

आँखों का कोना,
आँखों का कोना,
goutam shaw
4383.*पूर्णिका*
4383.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Kya ajeeb baat thi
Kya ajeeb baat thi
shabina. Naaz
I don't need any more blush when I have you cuz you're the c
I don't need any more blush when I have you cuz you're the c
Chaahat
कहां जाऊं सत्य की खोज में।
कहां जाऊं सत्य की खोज में।
Taj Mohammad
ग़ज़ल - संदीप ठाकुर
ग़ज़ल - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
मान देने से मान मिले, अपमान से मिले अपमान।
मान देने से मान मिले, अपमान से मिले अपमान।
पूर्वार्थ
नवजात बहू (लघुकथा)
नवजात बहू (लघुकथा)
गुमनाम 'बाबा'
घृणा के बारे में
घृणा के बारे में
Dr MusafiR BaithA
#सवाल-
#सवाल-
*प्रणय*
प्रेम का वक़ात
प्रेम का वक़ात
भरत कुमार सोलंकी
आसा.....नहीं जीना गमों के साथ अकेले में
आसा.....नहीं जीना गमों के साथ अकेले में
Deepak Baweja
स्मरण रहे
स्मरण रहे
Nitin Kulkarni
पिता के जाने के बाद स्मृति में
पिता के जाने के बाद स्मृति में
मधुसूदन गौतम
कुछ तो मेरी वफ़ा का
कुछ तो मेरी वफ़ा का
Dr fauzia Naseem shad
श्रीराम किसको चाहिए..?
श्रीराम किसको चाहिए..?
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
खाली सड़के सूना
खाली सड़के सूना
Mamta Rani
'रिश्ते'
'रिश्ते'
Godambari Negi
स्पोरोफाइट
स्पोरोफाइट
Shailendra Aseem
शब की गहराई में सुरमई इश्क़ की कहानी,
शब की गहराई में सुरमई इश्क़ की कहानी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
"झीरम घाटी"
Dr. Kishan tandon kranti
संकल्प
संकल्प
Suneel Pushkarna
श्रंगार
श्रंगार
Vipin Jain
" मँगलमय नव-वर्ष-2024 "
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
बहुत अरमान लिए अब तलक मैं बस यूँ ही जिया
बहुत अरमान लिए अब तलक मैं बस यूँ ही जिया
VINOD CHAUHAN
आयी ऋतु बसंत की
आयी ऋतु बसंत की
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
सफलता उस लहलहाती फ़सल की तरह है,
सफलता उस लहलहाती फ़सल की तरह है,
Ajit Kumar "Karn"
धड़कनें थम गई थीं
धड़कनें थम गई थीं
शिव प्रताप लोधी
हंसी तलाशेंगे तो हंसी आएगी,
हंसी तलाशेंगे तो हंसी आएगी,
Sanjay ' शून्य'
समय ⏳🕛⏱️
समय ⏳🕛⏱️
डॉ० रोहित कौशिक
Loading...