Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Sep 2024 · 1 min read

पिता के जाने के बाद स्मृति में

*अब किससे कहूं अपनी, दुनियां के झमेले में।
रोता हूं मैं अब तुमको , कर याद अकेले में।

तुम चले गए जग से ,तन्हाई देकर के।
रुलाई देकर के हंसी चेहरे की लेकर के ,
जब देखता हूं तुमको , फ्रेम में फोटो की।
तो रोकूं भला कैसे ,मैं कम्पन ओटों की।
बस सुबक सुबक करता दुनियां के मेले में।
अब किससे कहूं अपनी दुनियां के झमेले में।

मां की भी आंखों में ,लाचारी दिखती है।
ओठो को सीकर के ,बस शून्य निरखती है।
कभी हंस कर रोती है ,कभी रोकर हंसती है।
बस याद तुम्हे करके ,वो हर पल मरती है।
बस दर्शक भर शामिल है ,जीवन रुपि खेले में।
अब किससे कहूं अपनी दुनियां के झमेले में।

छोटा तो छोटा है , तुम्हें था जो बड़ा प्यारा ।
अब कौन लडाए उसे , देकर के प्यार सारा।
बहिनों की तो मत पूछो , अब भूल गई रस्ता।
अब आए तो भला कैसे ,यहां कोई नही दिखता।
सब छूट गया पीछे , इस समय के रैले में।
अब किससे कहूं अपनी ………..।

बहुएं भी तुम्हारी पिता ,दस्तूर निभाती है।
कर दान पुण्य थोड़ा फिर खाना खाती है।
दोनो लाडली पोती भी ,मिस तुम्हे करती है।
पोते जो है दोनो उनकी आंखे झरती है।
दोहित्र दोहिती भी , झूले यादों के झूले में।
अब किससे कहूं अपनी……*

कलम घिसाई

Language: Hindi
Tag: गीत
1 Like · 158 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

राम अर्थ है भारत का अब, भारत मतलब राम है (गीत)
राम अर्थ है भारत का अब, भारत मतलब राम है (गीत)
Ravi Prakash
शरारत – कहानी
शरारत – कहानी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
🙅 काश...।।🙅
🙅 काश...।।🙅
*प्रणय प्रभात*
"अपनी भूल नहीं मानते हम ll
पूर्वार्थ
मुझसे इस ज़िन्दगी की अदावत थी इसलिए
मुझसे इस ज़िन्दगी की अदावत थी इसलिए
Dr fauzia Naseem shad
अंतिम पड़ाव
अंतिम पड़ाव
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
बाल दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ
बाल दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ
Dr Archana Gupta
हाथ में उसके हाथ को लेना ऐसे था
हाथ में उसके हाथ को लेना ऐसे था
Shweta Soni
फितरत के रंग
फितरत के रंग
प्रदीप कुमार गुप्ता
सूर्य देव की अरुणिम आभा से दिव्य आलोकित है!
सूर्य देव की अरुणिम आभा से दिव्य आलोकित है!
Bodhisatva kastooriya
मेरे शब्दों में जो खुद को तलाश लेता है।
मेरे शब्दों में जो खुद को तलाश लेता है।
Manoj Mahato
आईना
आईना
Pushpa Tiwari
मुझे दर्द सहने की आदत हुई है।
मुझे दर्द सहने की आदत हुई है।
Taj Mohammad
कोई भी मजबूरी मुझे लक्ष्य से भटकाने में समर्थ नहीं है। अपने
कोई भी मजबूरी मुझे लक्ष्य से भटकाने में समर्थ नहीं है। अपने
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
शायरी
शायरी
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
शायद.....
शायद.....
Naushaba Suriya
ज़िंदा एहसास
ज़िंदा एहसास
Shyam Sundar Subramanian
4390.*पूर्णिका*
4390.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
तुम जुनून हो
तुम जुनून हो
Pratibha Pandey
*दिनचर्या*
*दिनचर्या*
संतोष सोनी 'तोषी'
बुरा वक्त
बुरा वक्त
Naseeb Jinagal Koslia नसीब जीनागल कोसलिया
पसन्द नहीं था खुदा को भी, यह रिश्ता तुम्हारा
पसन्द नहीं था खुदा को भी, यह रिश्ता तुम्हारा
gurudeenverma198
कृष्ण कन्हैया लाल की जय
कृष्ण कन्हैया लाल की जय
Vibha Jain
अनजाने का ठीक है,अनजाना व्यवहार
अनजाने का ठीक है,अनजाना व्यवहार
RAMESH SHARMA
जिन्दगी
जिन्दगी
लक्ष्मी सिंह
तेरे जाने का गम मुझसे पूछो क्या है।
तेरे जाने का गम मुझसे पूछो क्या है।
Rj Anand Prajapati
ये साल भी मेरी यादों की गठरी समेटे हमसे विदा लेने को है। सपन
ये साल भी मेरी यादों की गठरी समेटे हमसे विदा लेने को है। सपन
Swara Kumari arya
ज्ञान नहीं है
ज्ञान नहीं है
Rambali Mishra
"सूरत और सीरत"
Dr. Kishan tandon kranti
जनाब पद का नहीं किरदार का गुरुर कीजिए,
जनाब पद का नहीं किरदार का गुरुर कीजिए,
शेखर सिंह
Loading...