मनहरण घनाक्षरी
मनहरण घनाक्षरी
नमो -नमो दुर्गे मैया, सदा देना तुम छैया।
भक्तों पे कृपा करके, कष्ट हर लीजिए।।
सकल को मैया भाती, सिंह पर बैठ आती।
हाथ में त्रिशूल लिए, दया मातु कीजिए।।
मातु के होते नौ रूप,चाहे रंक हो या भूप।
सब करते नमन, झोली भर दीजिए।।
दुष्टों का संहार करें, दुखियों की पीड़ा हरें।
रोते को हंँसाकर माँ,सुख भर दीजिए।।
सुषमा सिंह*उर्मि,,