Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Feb 2018 · 1 min read

शिक्षामित्रों पर उपकार…

शिक्षामित्रों पर उपकार
कर दो हे मोदी सरकार
दुखियारों का अब उद्धार
कर दो हे योगी सरकार
इतना है माथे पर भार
जीवन से जाएंगे हार
अबतक इतने गये सिधार
लगभग लगभग आठ हजार
रोते हैं इनके परिवार
अब तो कर दो बेड़ा पार
बन जाओ इनके करतार
हर लो हर लो कष्ट हजार

– आकाश महेशपुरी

Language: Hindi
4 Likes · 2 Comments · 1632 Views

You may also like these posts

है हार तुम्ही से जीत मेरी,
है हार तुम्ही से जीत मेरी,
कृष्णकांत गुर्जर
आज की तरह तुम ना मिलो दोस्त में कोई भीखारी नहीं हूं ?
आज की तरह तुम ना मिलो दोस्त में कोई भीखारी नहीं हूं ?
Iamalpu9492
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
25. Dream
25. Dream
Ahtesham Ahmad
कबूतर
कबूतर
Vedha Singh
*श्री सुंदरलाल जी ( लघु महाकाव्य)*
*श्री सुंदरलाल जी ( लघु महाकाव्य)*
Ravi Prakash
शीर्षक -मातृभाषा हिंदी
शीर्षक -मातृभाषा हिंदी
Sushma Singh
"बयां"
Dr. Kishan tandon kranti
हे भारत की नारी जागो
हे भारत की नारी जागो
Dheerendra Panchal
रानी लक्ष्मी बाई
रानी लक्ष्मी बाई
MUSKAAN YADAV
ग़ज़ल _ शौक़ बढ़ता ही गया ।
ग़ज़ल _ शौक़ बढ़ता ही गया ।
Neelofar Khan
स्कूल चले
स्कूल चले
विजय कुमार नामदेव
जन्म-जन्म का साथ.....
जन्म-जन्म का साथ.....
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
जो छलके शराब अपने पैमाने से तो समझना नशा हो गया है
जो छलके शराब अपने पैमाने से तो समझना नशा हो गया है
Rj Anand Prajapati
घर अंगना वीरान हो गया
घर अंगना वीरान हो गया
SATPAL CHAUHAN
मन ,मौसम, मंजर,ये तीनों
मन ,मौसम, मंजर,ये तीनों
Shweta Soni
समाज की कड़वी सच्चाई
समाज की कड़वी सच्चाई
पूर्वार्थ
शिद्दतों  का  खुमार  है शायद
शिद्दतों का खुमार है शायद
Dr fauzia Naseem shad
नज़र को नज़रिए की तलाश होती है,
नज़र को नज़रिए की तलाश होती है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
सुभद्रा कुमारी चौहान जी की वीर रस पूर्ण कालजयी कविता
सुभद्रा कुमारी चौहान जी की वीर रस पूर्ण कालजयी कविता
Rituraj shivem verma
अकल की दुकान
अकल की दुकान
Mukund Patil
जिस देश में जालसाज़ी कर आईएएस बनना आसान हो, वहां बाक़ी पदों की
जिस देश में जालसाज़ी कर आईएएस बनना आसान हो, वहां बाक़ी पदों की
*प्रणय*
9) खबर है इनकार तेरा
9) खबर है इनकार तेरा
पूनम झा 'प्रथमा'
वक़्त की पहचान🙏
वक़्त की पहचान🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
अद्भुत है ये वेदना,
अद्भुत है ये वेदना,
sushil sarna
यह सादगी ये नमी ये मासूमियत कुछ तो है
यह सादगी ये नमी ये मासूमियत कुछ तो है
डॉ. दीपक बवेजा
3535.💐 *पूर्णिका* 💐
3535.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
व्यंग्य कविता-
व्यंग्य कविता- "गणतंत्र समारोह।" आनंद शर्मा
Anand Sharma
चाहकर भी जता नहीं सकता,
चाहकर भी जता नहीं सकता,
डी. के. निवातिया
अंधी पीसें कुत्ते खायें।
अंधी पीसें कुत्ते खायें।
Vishnu Prasad 'panchotiya'
Loading...