चैत्र नवरात्रि की शुभ बेला ✍️(स्वच्छंद कवि आलोक पांडेय)

चैत्र नवरात्रि की शुभ बेला
✍️(स्वच्छंद कवि आलोक पांडेय)
शक्ति स्वरूपा, मां जगदंबे, तेरा गान सुनाएं,
तेरी महिमा, तेरी कृपा, सबको राह दिखाए।
अम्बे, अणिमा-महिमा तेरी, सृष्टि तुझसे जारी,
तेरे चरणों में है शरण, संकट हरना भारी।
पहली रात शैलपुत्री बन, भक्तों को सहलाती,
दूजा दिन ब्रह्मचारिणी, ज्ञान ज्योति जलाती।
चंद्रघंटा रूप तृतीय, करती भय का हरण,
कूष्मांडा बन देती सुख, शुभ मंगल करन।
स्कंदमाता की ममता से, संतान पाएं सुख,
कात्यायनी से मिल जाएं, प्रेम और अनुराग युक्त।
कालरात्रि बन भक्ति में, हर अंधकार मिटाएं,
महागौरी कृपा करें, सौंदर्य से नहलाएं।
सिद्धिदात्री मां की महिमा, मनोकामना पूरी करे,
नवरात्रि में जो मन रमे, वह भवसागर तरे।
जय अम्बे, जय जगदंबे, आशीष सदा बरसाए,
तेरे दर पर शीश झुकाएं, भव बंधन कट जाए।
✍️ कवि परिचय
नाम: आलोक पांडेय
उपनाम: स्वच्छंद कवि
निवास: गरोठ, मंदसौर, मध्यप्रदेश .