किस बात की कमी थी, किस बात का था गम।

किस बात की कमी थी, किस बात का था गम।
खून बहा कर करता था, ख्वाहिश पूरी तेरी मैं।
तेरी खुशियों को जागता था, क्यों बदला तूने हमदम।
दिन रात मैं मेहनत करता था, तेरी खुशियों की खातिर।
न रही तमन्ना दिल में बाकी, कुछ और सनम अब करने की।
अभिलाषा है दिल में बाकी, बस तेरी बाहों में मरने की।
श्याम सांवरा….