आकाश

सुनो आकाश
तुम क्या समझोगे
क्षणभंगुर जीवन में
चिरंतनता ढूँढना क्या होता है
सीमित भावनाएं
सीमित मस्तिष्क
की सीमाओं को
क्षण भर लाँघ
साहस का अनुभव
क्या होता है
साहस
जिसका प्रस्फुटन
है मनुष्य की धरोहर
उसका अनुभव ही तो है बंद
काव्य , कलाओं , और विज्ञान में
आकाश तुम नहीं समझोगे
साहस से पूर्व की पीड़ा
और पश्चात् के आनंद को
यही तो है
जो निरन्तर चल रहा है
हमारे साथ
क्षण भंगुरता को
ढालता
चिरंतनता में !!
—-शशि महाजन
Sent from my iPad