*है अजब-गजब यह दुनिया भी, दुनिया यह समझो मेला है (राधेश्यामी

है अजब-गजब यह दुनिया भी, दुनिया यह समझो मेला है (राधेश्यामी छंद)
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1)
है अजब-गजब यह दुनिया भी, दुनिया यह समझो मेला है
वैसे तो भारी भीड़ यहॉं, लेकिन हर एक अकेला है
कुछ दिन घूमे-घामे जग में, परलोक पुनः सब चले गए
कुछ को ही मोक्ष मिला जग में, बाकी सब जग में छले गए
2)
जाने किस-किस का साथ मिला, सब पूर्व-जन्म का नाता है
यह भाग्य जटिल जो रचा गया, कब कहॉं समझ में आता है
कठपुतली जैसा नाच किया, फल किंतु पूर्व का लिखा मिला
कुछ को तो लक्ष्य मिला श्रम से, कुछ का जीवन-क्रम नहीं खिला
3)
सौ वर्षों तक चलने वाली, सबने पाई सुगठित काया
यह काया रची हुई प्रभु की, यह अद्भुत है उसकी माया
फल-दूध-अन्न को खा-पीकर, तन वर्ष पूर्ण सौ चलता है
आहार-वायु यदि बिगड़ गई, तो मध्य आयु में ढलता है
4)
शाकाहारी जीवन अच्छा, मदिरा का पान बुरा जानो
हर नशा बुरा है जीवन में, इसमें मिश्रित विष पहचानो
पशुओं की हिंसा छिपी हुई, हर मांसाहार बताता है
पशुओं को मार-मार खाकर, मानव-मन पशु हो जाता है
5)
जो प्रेम बॉंटकर जीते हैं, धरती वह स्वर्ग बनाते हैं
अधरों पर मधु-मुस्कान लिए, जो खुशी बॉंटते जाते हैं
उनका जिनको भी साथ मिला, वह धन्य-धन्य हो जाएगा
वह नगर-ग्राम अति पावन है, जो प्रेमी-जन को पाएगा
6)
जिनके मन में है लोभ नहीं, जो इर्ष्या-द्वेष नहीं करते
जो कभी किसी की चोरी से, अपने भंडार नहीं भरते
मन-शांति वही जन पाते हैं, जिनमें संतोष विचरता है
आवश्यकता से अधिक वस्तु, रखना भी जिन्हें अखरता है
7)
वह महापुरुष हैं धरती पर, जिन में न शत्रुता-भाव कहीं
उनसे दुख पहुॅंचे किसी ओर, उनके मन में कुछ चाव नहीं
वे जहॉं रहे जिस भॉंति रहे, सबका हित हरदम करते हैं
जितनी सामर्थ्य मिली उनको, सबके मन में सुख भरते हैं
8)
सबका हम चाहें भला सदा, सबसे इस जग में प्यार करें
सब बंधु हमारे हैं मानव, यह ही विचार अति श्रेष्ठ धरें
सबको देकर जग हरा-भरा, सुंदर सॉंसें दे जाऍंगे
नदियों का स्वच्छ रखेंगे जल, नव-पीढ़ी को पहुॅंचाऍंगे
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा (निकट मिस्टन गंज), रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451