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9 Apr 2024 · 1 min read

उत्कंठा का अंत है, अभिलाषा का मौन ।

उत्कंठा का अंत है, अभिलाषा का मौन ।
चीर गया आरम्भ को ,अंधेरों में कौन ।
इच्छाओं के वेग में, टूट गया हर बन्ध –
प्रश्नों के अम्बार लगे, उत्तर सारे गौन।

सुशील सरना /

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