रातों को रोशन करने , जुनून घर से निकल दिया

रातों को रोशन करने , जुनून घर से निकल दिया
अब कहां रुकूंगा यारों मैं चल दिया तो चल दिया
हम चले थे आंखों में कई सपनों का मंजर लेकर के
एक तूफां आया रस्ते में और रास्ता ही बदल दिया
✍️कवि दीपक सरल
रातों को रोशन करने , जुनून घर से निकल दिया
अब कहां रुकूंगा यारों मैं चल दिया तो चल दिया
हम चले थे आंखों में कई सपनों का मंजर लेकर के
एक तूफां आया रस्ते में और रास्ता ही बदल दिया
✍️कवि दीपक सरल