याद रखना कोई ज़रूरी नहीं ,
*संपूर्ण रामचरितमानस का पाठ: दैनिक समीक्षा* दिनांक 5 अप्रैल
⭕ !! आस्था !!⭕
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
सार छंद विधान सउदाहरण / (छन्न पकैया )
*** सिमटती जिंदगी और बिखरता पल...! ***
हे विश्वनाथ महाराज, तुम सुन लो अरज हमारी
क्या मिला क्या गंवा दिया मैने,
చివరికి మిగిలింది శూన్యమే
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
जब स्वयं के तन पर घाव ना हो, दर्द समझ नहीं आएगा।
जीवन की धूप-छांव हैं जिन्दगी
मैंने हमेशा खुद को अकेला ही पाया,
आखिर कुछ तो सबूत दो क्यों तुम जिंदा हो
एक दूजे के जब हम नहीं हो सके