मसला ये नहीं कि लोग परवाह नहीं करते,
बिन तुम्हारे अख़बार हो जाता हूँ
ज़रूरतों के हैं बस तकाज़े,
गीत- माता-पिता भगवान से...
चौकड़िया छंद / ईसुरी छंद , विधान उदाहरण सहित , व छंद से सृजित विधाएं
तुम बनते चालाक क्यों,धोखा है संसार ।
बच्चों की ख्वाहिशों का गला घोंट के कहा,,
अभिव्यक्ति,आलोचना और टिप्पणियाँ करना सबके अधिकार हैं, पर श
जैसे हातों सें रेत फिसलती है ,
*सरिता में दिख रही भॅंवर है, फॅंसी हुई ज्यों नैया है (हिंदी