प्रेम
ठीक वेलेन्टाइन डे के दिन !
प्रेम की गिनती गिन !!
कलम बोली कागज से…
मुझे तुमसे प्यार हो गया है !
मेरा दिल तुझपे निसार हो गया है !!
आओ हम मिले !
और विश्व उदय का नया इतिहास लिखे !!
कागज बोला…
हम दोनो मे बड़ा भेद है !
मेरा तन मन सफेद है !!
सफेद होने के कारण…
हम हर रंग मे रंग जाते है !
अरे ! जहां सीधी उंगली से घी न निकले
तो हम गांधी चित्र से निकलवाते है !!
सीधे सादे काम से लेकर
आड़े तिरछे काम तक में हम पुज रहे है !
तभी तो अन्ना रामदेव को लोग पूछ रहे है !!
हमारे अंदर सत्य-असत्य न्याय अन्याय सब कैद है !
उसके बाद भी देखो…हम तुमसे कितने सफेद है !!
कलम बोली…
माना आप सफेद है !
पर आपके भी कुछ भेद है !!
जिन्हे लोग नही जानते है !
और आपको मानते है !!
मै तो इतना जानती हूं कि आप उस शिव की तरह है !
जो मात्रा रूपी शक्ति से अलग होने के बाद…
केवल शव रह जाता है !
और मेरी अक्षर रूपी शक्ति ना हो तो…
आपका हाल भी उसी तरह नजर आता है !!
अतः हे कागज रूपी शव मुझसे मिल जाओ !
और विश्व उदय के लिए ना सही कम से कम
अपने अस्तित्व और मानव कल्याण के लिए
शव से शिव बन जाओ।
• विशाल शुक्ल