Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
21 Feb 2024 · 1 min read

समय की महत्ता

समय किसी की ऊपज नहीं है,
समय किसी से विवश नहीं है,
समय का जिसने त्याग किया,
जीवन भर जग का दुत्कार सहा,
मत सोचो समय हमारे हाथों की कठपुतली,
मत सोचो चुस समय का रस फेंक दूँ गुठली,
जितना जो मानव समय का सम्मान किया,
उतना ही समय उसको धन धान्य किया,
हर मनुज के जीवन मे हाथ थामने आता काल,
जो पकड़ लिया वही जन में हुआ निहाल,
उपहास करने वाले के हाथ लगा कंकड़ पोटरी,
गद्हा बना ढोता रहा पश्चाताप की गठरी,
अंत पछताए क्या होता है भाई,
समय विखर गया जब पाई-पाई,
किस किस को सुनाओगे मन की पीड़ा,
जब फेंक चले स्वंय समुद्र में समय सा हीरा,
उपहास घृणा तले जीवन जीना है,
स्वंय से ही स्वंय का सुख समृद्ध क्षण छिना है,
हंसते होठ, हृदय तुम्हारी विलख रही है,
क्षण-क्षण आकांक्षा बुझती अलख रही है,
समय किसी की ऊपज नहीं है,
समय किसी से विवश नहीं है।
-उमा झा

Loading...