*उड़ रहा सब जगह है गुलाल, अब हमें सनातन-राष्ट्र मिला (राधेश्

उड़ रहा सब जगह है गुलाल, अब हमें सनातन-राष्ट्र मिला (राधेश्यामी छंद पर आधारित हिंदी गजल)
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1)
हम लोग छियासठ थे करोड़, वह याद करो शुचि जल-क्रीड़ा।
यह महाकुंभ की डुबकी थी, जिस ने हर ली थी हर पीड़ा।।
जोगीरा..सा.रा..रा.रा.रा
2)
उड़ रहा हर जगह है गुलाल, अब हमें सनातन राष्ट्र मिला।
यह चमक रहा भारत अपना, रत्नों में जैसे हो हीरा।।
जोगीरा.. सा. रा.. रा. रा. रा
3)
यह राम-नाम की पिचकारी, अब सभी जगह पर छाई है।
हर पिचकारी में भरा हुआ, शुभ महाकुंभ का ही नीरा।।
जोगीरा.. सा. रा.. रा रा रा
4)
सब रंग लगाओ अब खुलकर, सब ही अब कुंभ नहाए हैं।
हर नर के भीतर तुलसी हैं, हर नारी के भीतर मीरा।।
जोगीरा.. सा.. रा.. रा रा रा
5)
जिस गली मोहल्ले में जाओ, सब दिव्य कुंभमय पाओगे।
सब के मन में प्रयाग अब भी, बैठे अब भी संगम तीरा।।
जोगीरा.. सा.. रा.. रा रा रा
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा (निकट मिस्टन गंज), रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451