मकर संक्रांति पर्व
मकर संक्रांति का त्योहार
सूरज ने बदला अपना द्वार,
आया मकर संक्रांति का त्योहार।
तिल और गुड़ की बहती मिठास,
खुशियों से भर दे हर आकाश।
आसमान में पतंगें उड़तीं,
रंग-बिरंगी खुशियां बिखरतीं।
चली हवा संग हर इक डोर,
खुशियों का बस चलता शोर।
पर ध्यान रखें ये बात खास,
सावधानी में है हर विश्वास।
न धारदार मांजे का खेल,
जो दे किसी को दुख का मेल।
पक्षी भी हैं इस जग के अंग,
उनसे रखें हमेशा संग।
ऊंचे उड़ें मगर समझदारी से,
खुशियां बांटें जिम्मेदारी से।
मकर संक्रांति का संदेश यही,
प्यार और प्रकाश से मिटा दें वही,
जो अंधकार बने जीवन का भार,
आओ मनाएं ये पावन त्योहार।
चेतन घणावत स.मा.
साखी साहित्यिक मंच, राजस्थान