स्मृतियों की पगडंडी पर

स्मृतियों की पगडंडी पर
लुढ़कती हुई
ऑंसुओं की बूंदों के संग
रिश्तों से छूटे
अवाक् रंगों के साथ
एकाकी होली
मुबारक हो!
रश्मि ‘लहर’
स्मृतियों की पगडंडी पर
लुढ़कती हुई
ऑंसुओं की बूंदों के संग
रिश्तों से छूटे
अवाक् रंगों के साथ
एकाकी होली
मुबारक हो!
रश्मि ‘लहर’