उसको पीने का जब है नशा हो गया
उसको पीने का जब है नशा हो गया
खेत बिक ही गया गर तो क्या हो गया
कोई मयखाना पी के रहा होश में
सूंघ कर ही कोई बावरा हो गया
उठ के पीने लगा हर सुबह रोज़ वो
जैसे मदिरा ही अब नाश्ता हो गया
चढ़ गया जब नशा बन गया बादशाह
लोग कहने लगे सरफिरा हो गया
उससे ‘आकाश’ मैंने कहा मत पियो
ले के लाठी तुरत ही खड़ा हो गया
– आकाश महेशपुरी
दिनांक- 10/03/2025