Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
1 Jan 2025 · 1 min read

नववर्ष है, नव गीत गाएँ..!

समस्त मित्रों, 🥰 को नववर्ष 2025 की हार्दिक बधाई।
शुभकामना स्वरूप एक गीत प्रस्तुत है-*नववर्ष है, नव गीत गाएँ..!*💐🙏

नववर्ष है, नव गीत गाएँ..!

प्रीत की आभा मनोहर,
भ्रमर सा, कुछ गुनगुनाएँ।
हैं बसे स्वप्नों मेँ जो,
दौड़े चले, मनमीत आएँ।।

तितलियाँ छेड़ें पवन को,
पुष्प सा हम मुस्कुराएँ।
सीख लें, लय-ताल भी कुछ,
अब न इक पल भी गवाएँ।।

पर्व है उल्लास का,
व्यक्तित्व पर्वत सा बनाएँ।
मन हो सागर सा सरल,
गहराइयों को भी निभाएँ।।

दूर महलों से कभी,
कुटिया मेँ निर्धन की भी जाएँ।
हाथ हो, हाथों मेँ उसका,
कुछ तो अपनापन जताएँ।।

दूर हो मालिन्य, तम,
उत्कर्ष-मय आशा जगाएँ।
सादगी सँग सहजता,
सद्भाव को, दिल मेँ बसाएँ।।

ईश की महिमा अनत,
क्यों शीश ना निशिदिन नवाएँ।
इन्द्र धनुषी है छटा,
कुछ प्रकृति से सीखें, सिखाएँ।।

क्यों करें कलरव, न हम भी,
पक्षियों सा चहचहाएँ।
सँस्कृति भूलें न फिर भी,
वेद की गूँजें ऋचाएं।।

हरित वसुधा, रूप-राधा,
रास कान्हा सा रचाएँ।
पीत पट पहनें कभी,
उन्मुक्त होकर खिलखिलाएँ।।

नवल रश्मि, प्रभात नव,
नव नीर नीरज, उर सजाएँ।
पात नव, कलिका नवल,
नववर्ष है, नव गीत गाएँ..!

##———##——–=##

Loading...