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26 Jan 2019 · 1 min read

ये सदा जग तेरा भी नही

ये सदा जग तेरा भी नही मेरा भी नही
ओर हमेशा यहां कोई रहता भी नही

बोलते रहे सदा ही वो अपना मुझे
स्वार्थ निकला न तो फिर बोला भी नही

कहते सब दुनिया झूठी है ये बड़ी
ना मैं झूठा न तू ओर मिला भी नही

सबको लगते है दुख दर्द अपने बड़े
रोटी सिवा गरीब ने कुछ मांगा भी नही

दफन होने को सोने को दो गज ही बस
हमने कभी किसी को कुछ समझा भी नही

जाति भेदभाव फैला सबके मन मे है
खून अलग पर मेरा भी तेरा भी नही

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