Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Jan 2024 · 1 min read

समझदार मतदाता

वोटर समझदार है कह कर फुसलाते हैं,
बस ऐसे मतदान के दिन बेवकूफ बनाते हैं ।

कराते हैं एकदिन प्रलोभन और गर्व का एहसास, कि वोट के अधिकार की ताकत है उसके पास ।

वोटर का मताधिकार कि हाकिम बना सकता है,
वो रंक को राजा बनाने की ताकत रखता है ।

हाकिम के पांच साल के कारनामे भूल जाता है,
फैलाई गई ईर्ष्या और नफरत भी भूल जाता है ।

5 साल का आक्रोश और गुस्सा रहता याद नहीं,
जब राजनेता प्रलोभन की कर लेता है ईजाद नई।

दंगे, आगजनी, बलात्कार, कानून व्यवस्था,
पृष्ठभूमि में धकेल, ले आते हैं एक नई कथा।

कानून की अनदेखी, अपराध को आश्रय है देता,
चुन लेते हैं तथाकथित समझदारी में कैसा नेता ।

जो नेता ईमान छोड़ स्वार्थ में बिक जाता है,
वोटर के विश्वास को स्वार्थवश धता बताता है ।

मतदाता की समझदारी तो भ्रम को तोड़ने में है,
नकारा और अपराधी प्रतिनिधि को छोड़ने में है।

82 Views
Books from Khajan Singh Nain
View all

You may also like these posts

कवि/लेखक- दुष्यन्त कुमार (सम्पूर्ण साहित्यिक परिचय)
कवि/लेखक- दुष्यन्त कुमार (सम्पूर्ण साहित्यिक परिचय)
Dushyant Kumar
हाइकु - डी. के. निवातिया (हाइकुकार)
हाइकु - डी. के. निवातिया (हाइकुकार)
डी. के. निवातिया
तुम्हीं  से आरम्भ तो  तुम्हीं पे है  खत्म होती  मेरी कहानी
तुम्हीं से आरम्भ तो तुम्हीं पे है खत्म होती मेरी कहानी
Dr Archana Gupta
झूम मस्ती में झूम
झूम मस्ती में झूम
gurudeenverma198
खुशियाँ हल्की होती हैं,
खुशियाँ हल्की होती हैं,
Meera Thakur
शुभ धाम हूॅं।
शुभ धाम हूॅं।
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
ग़ज़ल
ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
इन तन्हाइयो में तुम्हारी याद आयेगी
इन तन्हाइयो में तुम्हारी याद आयेगी
Ram Krishan Rastogi
माँ तुम्हारी गोद में।
माँ तुम्हारी गोद में।
अनुराग दीक्षित
" ब्रह्मास्त्र "
Dr. Kishan tandon kranti
सहधर्मिणी
सहधर्मिणी
Deepesh Dwivedi
ऐसे प्रश्न कई है
ऐसे प्रश्न कई है
Manoj Shrivastava
झोपड़ियों से बांस खींचकर कैसे मैं झंडा लहराऊँ??
झोपड़ियों से बांस खींचकर कैसे मैं झंडा लहराऊँ??
दीपक झा रुद्रा
4455.*पूर्णिका*
4455.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
दीदार
दीदार
Dipak Kumar "Girja"
वृंदा तुलसी पेड़ स्वरूपा
वृंदा तुलसी पेड़ स्वरूपा
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
* सुन्दर फूल *
* सुन्दर फूल *
surenderpal vaidya
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Jitendra Kumar Noor
क्या संग मेरे आओगे ?
क्या संग मेरे आओगे ?
Saraswati Bajpai
4 खुद को काँच कहने लगा ...
4 खुद को काँच कहने लगा ...
Kshma Urmila
मैं सूर्य हूं
मैं सूर्य हूं
भगवती पारीक 'मनु'
राधा/किशोर छंद...!
राधा/किशोर छंद...!
पंकज परिंदा
ये नव वर्ष हमको स्वीकार नही
ये नव वर्ष हमको स्वीकार नही
पूर्वार्थ
इसी कारण मुझे लंबा
इसी कारण मुझे लंबा
Shivkumar Bilagrami
मृत्यु ही एक सच
मृत्यु ही एक सच
goutam shaw
Faith in God
Faith in God
Poonam Sharma
वर्षा रानी आ घर तु इस बार
वर्षा रानी आ घर तु इस बार
Radha Bablu mishra
माँ
माँ
Sumangal Singh Sikarwar
मन मयूर
मन मयूर
डॉ नवीन जोशी 'नवल'
रूप मनोहर श्री राम का
रूप मनोहर श्री राम का
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
Loading...