भक्ति विधान
///भक्ति विधान///
प्रफुल्ल मलय की सुरभित वाती,
महती विपिन के विगत विहान।
रवि शशि रश्मि छाया का अर्चन,
प्रगल्भ क्षितिज के वर्ण प्रधान।।
हस्त लाघव से ले अवगूंफन,
कंचन रेणु पर मणि माला।
अनंत गगन के आशुतोष हे,
अर्पित तुझको जीवन शाला।।
नहीं चाहिए जीवन प्रमाद,
ना ही दो प्रभु अर्थ विधा ।
आज मुझे दे दो तुम देव,
ये विरह जाग्रत प्राण सुधा।।
अर्चित कृति अनल प्रभामय,
सूर सुंदर नवजीवन ज्वाला।
लेकर तुमसे आनव अंचल ,
बन जाऊं शुचि मुक्ति माला।।
देव तुम्हें अर्पित यह जीवन,
देव तुम ही हो भक्ति विधान।
शशि रवि दल मय पुष्प सुधा,
हे प्राण! तुम ही हो मुक्ति महान।।
स्वरचित मौलिक रचना
प्रो. रवींद्र सोनवाने ‘रजकण’
बालाघाट (मध्य प्रदेश)