– चश्मे के पीछे छुपी तेरी आंखों ने चश्मे के पीछे छुपी मेरी आंखों से कुछ कहा –
– चश्मे के पीछे छुपी तेरी आंखों ने -चश्मे के पीछे छुपी मेरी आंखों से कुछ कहा –
तेरी आंखों ने मेरी आंखों से अटखेलिया करते कुछ कहा,
नयनों के तीर मिले और दिल में घमासान हो गया,
तेरे रंग रूप का आंखों में छायाचित्र बन गया,
कौन हो तुम क्या है तुम्हारा नाम,
उत्सुकता का ज्वार मन में उठा,
मिलने की तुझसे तमन्ना हुई,
दिल ये बेकरार रहा,
देखकर तेरी आंखों मेरे दिल व आंखों को करार रहा,
चश्मे के पीछे छुपी तेरी आंखों ने चश्मे के पीछे छुपी मेरी आंखों से कुछ कहा,
तेरे आंखों ने मेरी आंखों को अटखेलिया करते कुछ कहा,
✍️ भरत गहलोत
जालोर राजस्थान