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5 Mar 2025 · 1 min read

शिद्दतों में जो बे’शुमार रहा ।

शिद्दतों में जो बे’शुमार रहा ।
मेरी आंखों का इंतिज़ार रहा ।।

भूल हमको कभी नहीं सकता ।
दिल में बाक़ी ये ए’तबार रहा ।।

पूंछ कर ज़िंदगी बता देना।
हम पर किसका कहां उधार रहा ।।

मेरा कब हम पे इख़्तियार रहा ।
दिल तो दिल था सो बे’क़रार रहा ।।

बे’बसी जिंदगी में थी शामिल ।
मेरा दामन भी तार – तार रहा ।।
डाॅ फ़ौज़िया नसीम शाद

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