शिद्दतों में जो बे’शुमार रहा ।

शिद्दतों में जो बे’शुमार रहा ।
मेरी आंखों का इंतिज़ार रहा ।।
भूल हमको कभी नहीं सकता ।
दिल में बाक़ी ये ए’तबार रहा ।।
पूंछ कर ज़िंदगी बता देना।
हम पर किसका कहां उधार रहा ।।
मेरा कब हम पे इख़्तियार रहा ।
दिल तो दिल था सो बे’क़रार रहा ।।
बे’बसी जिंदगी में थी शामिल ।
मेरा दामन भी तार – तार रहा ।।
डाॅ फ़ौज़िया नसीम शाद