होली के हुड़दंग में, रंगों की है जंग |

होली के हुड़दंग में, रंगों की है जंग |
सब मिल होली खेलते,पी पी करके भंग ||
पी पी करके भंग, व्यक्ति हर नाचे गाये |
फगुआ के सँग ढोल, बजाना सबको भाये ||
कहें प्रेम कविराय,करें सब हँसी ठिठोली |
गुझिया पापड़ संग, मनाये जन जन होली||
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम