यूथिका
इस साहित्य आकाश में बिखरे समस्त सितारों को उत्कर्ष का झिलमिल संसार मिले ,हर लेखनी स्पर्श करे हृदय को
मां शारदे ये अभय आशीष दे,
मुखरीत हुई बीज मौन अश्रु …
मिले सभी को वही स्नेहिल पोषण यहां
संभावनाओं के क्षितिज में फिर दमके स्वर्णिम यूथिका (सबसे सुंदर नक्षत्र ) सा