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1 Mar 2025 · 1 min read

*जन-प्रतिनिधि (राधेश्यामी छंद)*

जन-प्रतिनिधि (राधेश्यामी छंद)
_________________________
1)
जन-प्रतिनिधि ऐसे रहें सदा, जन-साधारण ज्यों रहते हैं।
क्यों शान दिखाते हैं अपनी, क्यों आडंबर में बहते हैं।।
2)
जन-प्रतिनिधि जैसा भाषण दें, वैसा उनका आचार रहे।
हर आम आदमी के जैसा, उनका जीवन-व्यवहार रहे।।
3)
वह कोठी में तो रहें किंतु, वह कोठी महल न कहलाए।
जन-प्रतिनिधि के आवासों में, राजा की झलक न आ पाए। ।
4)
सब जन-प्रतिनिधि अपने विवाह, थोड़े से धन से करवाऍं।
अनुसरण करें सब यों उनका, आदर्श उपस्थित कर जाऍं।।
5)
पूॅंजीपतियों को जन-प्रतिनिधि, चुनने की नहीं जरूरत हो।
निर्धन के चुनकर जाने की, कोई तो अच्छी सूरत हो।।
6)
जिस विद्यालय में जो बच्चे, जन-प्रतिनिधियों के पढ़ा करें।
उस विद्यालय की सीढ़ी पर, जन-जन के बच्चे चढ़ा करें।।
7)
हों सच्चरित्र सद्जन-प्रतिनिधि, कोई न भूल से दुष्ट मिले।
वह साधु मिलें सब भॉंति हमें, उनसे न एक भी रुष्ट मिले।।
8)
जैसे चुनते हम जन-प्रतिनिधि, हम वैसा देश बनाते हैं।
अच्छा या बुरा देश अपना, अपने कर्मों से पाते हैं।।
9)
इसलिए कमर कसकर आओ, चुनने में गलती मत करना।
जो गलत सुन लिया एक बार, भारी घाटा है फिर भरना।।
10)
थोड़े लालच में जन-प्रतिनिधि, चुनने की हरगिज भूल न हो।
दो पल फूलों की सेज कहीं, फिर घातक लंबी शूल न हो।।
11)
अच्छे मतदाता बनें सभी, सब वोट डालने को जाऍं।
पिकनिक घर-बाहर छोड़ें सब, पहले चुनाव को निबटाऍं
_________________________
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा (निकट मिस्टन गंज), रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997 615451

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