Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Feb 2018 · 2 min read

गंगा

है पवित्र पावन नदी, गंगा जिसका नाम।
बदली निर्मल नीर की, लेती नहीं विराम।।

गंगा गरिमा देश की,कल-कल करे निनाद।
भारत माँ की वंदना, करती भर उन्माद।।

आदिकाल से बह रही,गंगा निर्मल धार।
गोमुख से बंगाल तक, गंगा का विस्तार।।

ब्रह्म कमंडल से बही,गंगा जी की धार।
थाम लिए शिव शीश पर,तीव्र वेगमय भार।।

भगीरथ के प्रयास से,भू पर आई गंग।
सगर पुत्र को तारती ,अनुपम तरल तरंग।।

पड़े नहीं कीड़ा कभी, गंगाऔषध युक्त।
हितकारी करुणामयी,रखे रोग से मुक्त।।

उज्ज्वल शीतल नील जल, देती सबको प्राण।
तरल नीर नीलाभ को, किया मलिन निष्प्राण।।

सुरधुनि, सुरसरि, सुरनदी, कितने तेरे नाम।
मिट्टी को उर्वर करे, माँ बहती अविराम।।

जिस पथ से गंगा बहे, देती जीवन धार।
ममता बरसाती सदा, सबको करे दुलार।।

गावों की जीवन बनी, खेतों की श्रृंगार।
संचित प्राणों को करे, महिमा बड़ा अपार।।

पाले अपने गर्भ में, कितने जीव हजार।
पाप सभी धोती रही, गंगा बड़ी उदार।।

परंपरा ये देश की, पर्व गीत त्योहार।
साक्षी वेदों की रही, गंगा ही आधार।।

भारत की गरिमामयी, देश धर्म का मान।
मोक्षदायिनी मात ये,नित गंगा स्नान।।

सिर्फ नदी यह है नहीं, इससे रहा विवेक।
गंगा ही तो सत्य है, गंगा ही है टेक।।

गंगा कितने दुख सहे, बिना किये आवाज।
कुल में,मुँह खोले कभी, होता नहीं रिवाज।।

अविरल निर्मल नित बहे, हो गंगा सम्मान।
कलकल बहने दो इसे, दे दो इतना मान।।

कण कण कचरे से भरा, बहती विषाद के संग।
सिसक सिसक कर रो रही, इसकी मृदुल तरंग।।

गंगा मैली हो गई, है वेदना अथाह।
बेसुध हो चलती रही, निश्चल पड़ा प्रवाह।।

जो कुछ भी नित हो रहा, गंगा जी के साथ।
पता नहीं क्या आप को,इसमें किसका हाथ।।

मानव अंधा हो गया, फैला रहा विकार।
आँचल गंदा कर दिया, गंगा व्यथा अपार।।

वह क्या थी क्या हो गई, गंगा खुद हैरान।
अपनी हालत देखकर, है बहुत परेशान।।

नित दिन विष से जूझती, गंगा बड़ी उदास।
रंग-रूप अब वो नहीं, वैसी नहीं मिठास ।।

शक्तिहीन गंगा लहर,बहने को मजबूर।
अब अपनी हैसियत से, होती जाती दूर।।

प्लान-पाॅलिसी आड़ में, बढ़ते अत्याचार।
गंगा विकास नाम पर, जेब भरे सरकार।।

अनुपम सुन्दर देश यह, तुझ से ही धन धाम।
दो मुझको आशीष नित, गंगा तुझे प्रणाम।।
—लक्ष्मी सिंह

Language: Hindi
289 Views
Books from लक्ष्मी सिंह
View all

You may also like these posts

"बेटी"
Dr. Kishan tandon kranti
बूंद बूंद में प्यास है, बूंद बूंद में आस।
बूंद बूंद में प्यास है, बूंद बूंद में आस।
Suryakant Dwivedi
दू गो देश भक्ति मुक्तक
दू गो देश भक्ति मुक्तक
आकाश महेशपुरी
दिल की बाते दिल में न रह जाए -
दिल की बाते दिल में न रह जाए -
bharat gehlot
'चो' शब्द भी गजब का है, जिसके साथ जुड़ जाता,
'चो' शब्द भी गजब का है, जिसके साथ जुड़ जाता,
SPK Sachin Lodhi
हम मुहब्बत के परस्तार रियाज़ी तो नहीं
हम मुहब्बत के परस्तार रियाज़ी तो नहीं
Nazir Nazar
दोहा पंचक. . . . . गर्मी
दोहा पंचक. . . . . गर्मी
sushil sarna
धर्म रक्षक
धर्म रक्षक
Mangu singh
दिल दिमाग़ के खेल में
दिल दिमाग़ के खेल में
Sonam Puneet Dubey
*उसी को स्वर्ग कहते हैं, जहॉं पर प्यार होता है (मुक्तक )*
*उसी को स्वर्ग कहते हैं, जहॉं पर प्यार होता है (मुक्तक )*
Ravi Prakash
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
सलेक्ट होलें कउआ
सलेक्ट होलें कउआ
अवध किशोर 'अवधू'
हर किसी में निकाल दें खामी
हर किसी में निकाल दें खामी
Dr fauzia Naseem shad
बारहवीं मैं मेरे धोरे आर्ट थी
बारहवीं मैं मेरे धोरे आर्ट थी
Sonit Parjapati
காதல் என்பது
காதல் என்பது
Otteri Selvakumar
* बिखर रही है चान्दनी *
* बिखर रही है चान्दनी *
surenderpal vaidya
वैदेही का महाप्रयाण
वैदेही का महाप्रयाण
मनोज कर्ण
3117.*पूर्णिका*
3117.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
चल विजय पथ
चल विजय पथ
Satish Srijan
कुदरत के रंग....एक सच
कुदरत के रंग....एक सच
Neeraj Agarwal
संगदिल
संगदिल
Aman Sinha
संसाधन का दोहन
संसाधन का दोहन
Buddha Prakash
वैर भाव  नहीं  रखिये कभी
वैर भाव नहीं रखिये कभी
Paras Nath Jha
मिलने को तुमसे
मिलने को तुमसे
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
एक होता है
एक होता है "जीजा"
*प्रणय*
life का एक नया chapter शुरू हो चुका है, और इस chapter का नाम
life का एक नया chapter शुरू हो चुका है, और इस chapter का नाम
Ritesh Deo
राजनीति की गरमी
राजनीति की गरमी
Acharya Rama Nand Mandal
°°आमार साद ना मिटिलो.....??
°°आमार साद ना मिटिलो.....??
Bimal Rajak
बातों की कोई उम्र नहीं होती
बातों की कोई उम्र नहीं होती
Meera Thakur
तुझको मांग लेते हैँ
तुझको मांग लेते हैँ
Mamta Rani
Loading...