धर्म रक्षक
धर्म ध्वजा है गगन चूमती, शान भी बडी़ निराली है।
अहंकार से भरे हुए हैं, सदाचार से खाली हैं।
वर्ण भेद की करें वकालत, पहनावे से पहचान करें।
बलात्कार पै कभी न बोलें, मूक बधिर नादान फिरें।
गुरुवर फंसते बलात्कार में ,चेले ये दरकार करें।
गुरू हमारा सच्चा सुच्चा, सरकारें सत्कार करें।
धरती खोद कर रोज़ निकाले, भगवानो का आविष्कार करें।
सच्चे राम को कभी न देखें, भगवान जो अत्याचार करें।
गाय की रक्षा करते देखे बीफ परोसे थाली में।
बच्चे दूध से बंचित देखे, ये रोज बहाते नाली में।