जो दिल में है उसे आंखों से कहलाना जरूरी है
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नजर के सामने हो तू तो शर्माना जरूरी है
जो दिल में है उसे आंखों से कहलाना जरूरी है ।
छुपा कर इबादत करना सबसे बेहतर होगा
दिखावा से छलावा से निकल जाना जरूरी है ।
जमाने भर से रुसवा और दिल भारी होगा यारों
गलत का साथ देने से मुकर जाना जरूरी है।
वो तो खुद चैन से सोता है ताने मार दूजे को
है! इन चालाक गद्दारों से टकराना जरूरी है
चलो माना कि खामोशी में यूं रहना बड़प्पन है
मगर मिलकर के अच्छी बात फैलाना जरूरी है।
नूर फातिमा खातून “नूरी”
जिला -कुशीनगर