सवैया
महा भुजंग प्रयात सवैया छंद
मापनी –
122-122-122-122-122-122-122-122,
प्रदत्त शब्द -सुहानी
कभी पूर्णिमा है कभी रात काली,
छटा चांदनी है सुहानी सुहानी|
रूहानी कला जो दिखी यामिनी में,
छटा चांद की है रूहानी सुहानी |
हमारे तुम्हारे यहां भी कहेंगे,
सदा चांद तारे कहानी सुहानी|
कहीं रात में चांद सोया हुआ था,
कहीं रात में चांदनी थी सुहानी |
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम