पछुआ हवा
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
ज़माना इतना बुरा कभी नहीं था
ज़िन्दगी जीने की जद्दोजहद में
ग़ज़ल __आशिकों महबूब से सबको मिला सकते नहीं ,
जहर मिटा लो दर्शन कर के नागेश्वर भगवान के।
यहीं सब है
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
आनंद से जियो और आनंद से जीने दो.
ये कलयुग है ,साहब यहां कसम खाने
आधार छन्द- "सीता" (मापनीयुक्त वर्णिक) वर्णिक मापनी- गालगागा गालगागा गालगागा गालगा (15 वर्ण) पिंगल सूत्र- र त म य र
रामपुर के गौरवशाली व्यक्तित्व
सकार से नकार तक(प्रवृत्ति)
जो तुम्हारी खामोशी को नहीं समझ सकता,
यूं तन्हाई में भी तन्हा रहना एक कला है,