*मनः संवाद—-*

मनः संवाद—-
20/01/2025
मन दण्डक — नव प्रस्तारित मात्रिक (38 मात्रा)
यति– (14,13,11) पदांत– Sl
कह लेने दो बातों को, फिर ये मौसम हो न हो, इसकी है मर्याद।
कोई अर्थ नहीं होता, समय गये बेमोल सब, जो भी कहते बाद।।
क्या जाने फिर नहीं मिले, अभी घटित अंतःकरण, गुंजित मानस नाद।
सुनकर जाओ अच्छा है, कभी नहीं करना सखे, कोई नया विवाद।।
मन की बातें जागृत हैं, कैसे सोये बिन कहे, उमगे भाव तरंग।
शांत नही ये हो सकते, तब तक इसको कह चलूँ, करते मुझको तंग।।
अंतर्मन में छिड़ी हुई, द्वंद्वात्मक अभिप्रेरणा, कोई जैसे जंग।
जब तक हाँ मैं सुनूँ नहीं, हाँ कहिए सरकार अब, यही रहेंगे ढंग।।
— डॉ. रामनाथ साहू “ननकी”
संस्थापक, छंदाचार्य, (बिलासा छंद महालय, छत्तीसगढ़)
━━✧❂✧━━✧❂✧━━✧❂✧━━