Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 Jul 2024 · 2 min read

fake faminism

आपको सिर्फ बचकानी बातें ही करनी आती है क्या, अपनी गलतियों को दूसरे के ऊपर थोप दो, यही महानता है आप लोगो की, किसने कह दिया घर में सिर्फ मर्दों की चलती है, जब एक मर्द के बराबर पढ़ी लिखी औरत होती है तब भी पूछी जाती है उनकी हर एक राय और सलाह, और जो पढ़ी लिखी नही होती उससे भी राय लेते है लोग, आप तो पहले काबिल बनो को आप आपसे राय ले शिक्षित बनने की जरूरत है, दूसरी बात एक औरत को या एक लडकी को अब बराबर का हक है मर्द की संपत्ति में, औरत तो तलाक लेकर भी आधी संपत्ति ले जाती है, ये हक है उन्हे, दहेज उत्पीड़न के नाम पर पूरे घर वालो को जेल करवा सकती है,लडकियो को दहेज देने से डर लगता है लेकिन उनके मां बाप को दूल्हा सरकारी नौकरी वाला पसंद होता है, पहले लडकी दहेज देने से डरती है, उसके बाद वही सास बनकर दहेज मांगती है, ऐसे नही चलेगा न, की आप फेमिनिस्ट के नाम पर कुछ भी करो,लड़की को काबिल बनाओ, वो खुद नौकरी करे तो कौन लेगा दहेज, कोई नही लेगा,कभी सुना है सरकारी नौकरी लड़की करती हुई लडकी की किसी बेरोजगार से शादी, नही न, अगर हुई भी है तो लव मैरिज, उसके बावजूद लड़की के मां बाप राजी नही होते, का लड़का ये उम्मीद रखता ही नही की उसे नौकरी वाली लड़की ही चाहिए, कैसी भी हो ठीक हो, जबकि लकड़ियों की मानसिकता आमतौर पर ये है की सरकारी नौकरी करेगी, टीचर होगी प्राइमरी की तो प्रिंसिपल से शादी करने का ख्वाब देखने लगती है, ये हम लोगो के समाज का सच है, जिसे कोई स्वीकार करना ही नही चाहता, जब दहेज या पैसे नही है आपके पास ऑडी मर्सिडीज के लिए तब ऑल्टो में ही काम चलाओ, पैसे नही देने और लड़का RBI गवर्नर हो, बहुत से बेरोजगार भी है बहुत अच्छे है वो उनसे कर लो क्या दिक्कत है, लेकिन नही, मां बाप चाहते है उनकी बेटी AC में रहे, धूप गलती से भी न दिखे, ऊपर से पूरे मोहल्ले में रोना की अरे 50 लाख लग गया बेटी की शादी में, फिर दूल्हे पक्ष वालो को ही भिखारी घोषित कर दो, यही तो है असल वाला feminism?

Language: Hindi
Tag: लेख
106 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

कल आज और कल
कल आज और कल
Omee Bhargava
प्रेम की गहराई
प्रेम की गहराई
Dr Mukesh 'Aseemit'
किसी ने कर लिये गुनाह कोई पीर बन बैठा।
किसी ने कर लिये गुनाह कोई पीर बन बैठा।
Madhu Gupta "अपराजिता"
दीपक का संघर्ष और प्रेरणा
दीपक का संघर्ष और प्रेरणा
Durgesh Bhatt
Ghazal
Ghazal
shahab uddin shah kannauji
दोहा पंचक. . . . वर्तमान   :
दोहा पंचक. . . . वर्तमान :
sushil sarna
जिन्दगी की किताब में
जिन्दगी की किताब में
Minal Aggarwal
*तेरी ख़ुशबू*
*तेरी ख़ुशबू*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
"हैसियत"
Dr. Kishan tandon kranti
बलदेव छठ
बलदेव छठ
Mahesh Jain 'Jyoti'
न जाने क्या ज़माना चाहता है
न जाने क्या ज़माना चाहता है
Dr. Alpana Suhasini
रुख़ से परदा हटाना मजा आ गया।
रुख़ से परदा हटाना मजा आ गया।
पंकज परिंदा
"Don’t ignore the effort of someone who tries to keep in tou
पूर्वार्थ
हमने दीवारों को शीशे में हिलते देखा है
हमने दीवारों को शीशे में हिलते देखा है
दीपक बवेजा सरल
जबसे तू गइलू नइहरवा (चइता)
जबसे तू गइलू नइहरवा (चइता)
आकाश महेशपुरी
हमारी सोच
हमारी सोच
Neeraj Kumar Agarwal
यदि कोई लड़की आपसे बात करते करते बीच में ही bye बोलकर भी ऑनल
यदि कोई लड़की आपसे बात करते करते बीच में ही bye बोलकर भी ऑनल
Rj Anand Prajapati
- तुझको खबर नही -
- तुझको खबर नही -
bharat gehlot
किसी और के आंगन में
किसी और के आंगन में
Chitra Bisht
हँसते रहो तो दुनिया साथ है, वरना आंसुओं को तो आँखों में भी ज
हँसते रहो तो दुनिया साथ है, वरना आंसुओं को तो आँखों में भी ज
ललकार भारद्वाज
परम आधार
परम आधार
Dr. Ravindra Kumar Sonwane "Rajkan"
पंचयति
पंचयति
श्रीहर्ष आचार्य
लोकतंत्र का महापर्व
लोकतंत्र का महापर्व
डॉ नवीन जोशी 'नवल'
🙅भूलना मत🙅
🙅भूलना मत🙅
*प्रणय प्रभात*
पुरानी किताब
पुरानी किताब
Mansi Kadam
Perceive Exams as a festival
Perceive Exams as a festival
Tushar Jagawat
आइए जलते हैं
आइए जलते हैं
Dr. Chandresh Kumar Chhatlani (डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी)
*ज्ञानी (बाल कविता)*
*ज्ञानी (बाल कविता)*
Ravi Prakash
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Seema Garg
नारी की आवाज हूँ।
नारी की आवाज हूँ।
manorath maharaj
Loading...