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16 Jun 2024 · 1 min read

पिता आख़िर पिता है

Father’s Day

पिता क्या है
जिसने खुद तपके
मुझको रौशनी दी
सूरज की तरह,
मुसीबत खुद ओड़ के
मुझे हिफाज़त दी
अम्बर की तरह,
पिता क्या है
साथ दिया मुझको
हर मोड़ पे
साये की तरह ,
कमियां मेरी बतायीं
साफ साफ
आईने की तरह
पिता क्या है
हर बरसात में
सर पर छाते की तरह
मेरे दर्द तल्ख़ थे
महसूस किया
अपने घावों की तरह
पिता क्या है
छिपा लेते थे
मेरे ऐबों को
आँखों में काजल की तरह

मेरी हर जीत को
वे मानते रहे
अपनी शोहरत की तरह
पिता क्या है
ऐसा एकमात्र सख्स
इस जमाने में
जिसको खुशी होती है
मेरे उनसे भी
आगे जाने पर,
मेरी हर कामयाबी पर
उसका सीना फूल जाता है
कोई न भी पूछे
तो भी
सबको बताते
क्या बन गया हूं मैं ।
मैं आज भी
उनकी लकड़ी की कुर्सी
के पास कभी खड़ा
हो जाता हूं
और उनके कद
मुकाबले अपने को
बहुत छोटा
पाता हूं
डा राजीव सागरी

Language: Hindi
134 Views
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