फासले कम करो

गीतिका
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फासले कम करो पास आओ अभी।
स्नेह का गीत प्रिय गुनगुनाओ अभी।
भूल कर बात कल की निराशाजनक।
दो कदम साहसी बन बढ़ाओ अभी।
यह तमस भी स्वयं दूर हो जाएगा।
शाम है एक दीपक जलाओ अभी।
एक जैसा नहीं वक्त रहता सदा।
व्यर्थ आंसू नहीं तुम बहाओ अभी।
अब नियंत्रण स्वयं भावनाएं रखो।
कुछ नया कार्य कर के दिखाओ अभी।
कौन क्या कह रहा ध्यान मत दीजिए।
बात अपनी सभी को बताओ अभी।
धैर्य से काम करना जरूरी बहुत।
आवरण भय भरा भी हटाओ अभी।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य