ख्वाबों की क्या बात कहें सारे ख्वाब सुनहरे हैं, ख्वाबों की क्या बात कहें सारे ख्वाब सुनहरे हैं, शोर मचा है भीतर लब पर खामोशी के पहरे हैं,,