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6 May 2024 · 1 min read

ग़ज़ल (चलो आ गयी हूँ मैं तुम को मनाने)

गज़ल

चलो आ गयी हूँ मैं तुम को मनाने
मगर शर्त ये है कि दुनिया न जाने

मेरा दिल हुआ है , तुम्हारे हवाले
तिरे बिन कभी मुस्कुराना न जाने

कहाँ जान पाये वो बातें दिलों की
ग़मे हिज्र में गुनगुनाना न जाने

मुहब्बत कभी की उसी ने थी’ मुझसे
कहाँ खो गया वो दिवाना न जाने

लगे दाग़ सा नाम पर आशिकों के
जो रूठे हुए को मनाना न जाने

डॉक्टर रागिनी
शर्मा
इंदौर

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