तुम्हारे रूठ जाने पर

तुम्हारे रूठ जाने पर
मैं कितने ही प्रयंत्न करता हूं
तुम्हें मनाने के लिए ,
लेकिन तुम्हारा बस बातों पर …..
हर छोटी सी बात पर भी विराम लगा देना ,
मेरे अनगिनत कॉल करने पर
तुम्हारा हर बार कट कर देना ,
अर्थात् तुम तक पहुंचने का हर मार्ग बंद हो जाता है
मेरी बेचैनी और अधीरता
परिवर्तित हो जाती है पीड़ा में…..
अनभिज्ञ नहीं हूं तुम्हारे कुछ क्षणों के गुस्से से
लेकिन उन कुछ एक क्षणों में ही
मेरे प्राण निकल जाते हैं
काश तुम मेरे समीप होते तो
कितना आसान होता तुम्हें मना पाना
क्या होता????