Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
18 May 2024 · 1 min read

आजकल

आजकल

सयाने बहुत हो गए हैं लोग आजकल,

बनाते हैं रिश्ते जो अपना अपना काम देखकर !

शब्द बोलकर यूँ ही निकल जाते हैं लोग आजकल,

जुबान के शब्दों से भी घायल हो जाते हैं रिश्ते अक्सर !

होती है गलती उसी से जो करता कर्म निरन्तर है,

निठल्ला का है ही काम, ढूँढ़ना गलती हर बार !

शोहरत के गुरूर में अंधे हो जाते हैं लोग कई बार,

यहाँ खामियों के अपेक्षा, खूबियों से जलते लोग आजकल !

सहज है जीवन, रुक जाए तो मिलता है दर्द भयंकर,

बीमार यहाँ हर शख्स है, कोई तन से तो कोई मन से आजकल !

मुनीष भाटिया
5376, ऐरो सिटी
मोहाली
9416457695

Loading...