या खुदा, सुन मेरी फ़रियाद,
शराफ़त न ढूंढो़ इस जमाने में
नव वर्ष के आगमन पर याद तुम्हारी आती रही
बताओ नव जागरण हुआ कि नहीं?
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
समसामायिक दोहे
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
प्यार जताना नहीं आता मुझे
सड़कों पर दौड़ रही है मोटर साइकिलें, अनगिनत कार।
गर मयस्सर ये ज़ीस्त हो जाती
धीरे _धीरे ही सही _ गर्मी बीत रही है ।
हां..मैं केवल मिट्टी हूं ..
*आदमी में जानवर में, फर्क होना चाहिए (हिंदी गजल)*
अच्छाई बाहर नहीं अन्दर ढूंढो, सुन्दरता कपड़ों में नहीं व्यवह
निःशब्दता हीं, जीवन का सार होता है......
रूस्वा -ए- ख़ल्क की खातिर हम जज़्ब किये जाते हैं ,