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18 Jul 2024 · 1 min read

श्रंगार

प्रिय तुम्हारे प्रेम की संपदा पाकर अभिभूत हूं मै।
तुम्हारे मिलन की परिकल्पना से प्रफुल्लित हूं मै।
न बिछुडना अब कभी भी हमारा साथ छोड़कर।
तुम बसी हो सांसों में जिसमें अस्तित्व खो चुका हूं मै।
विपिन

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