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8 Feb 2025 · 1 min read

शाम का वक्त है घर जाना है

शाम का वक्त है घर जाना है
काम बाकी है, मगर जाना है

पुरखतर राह बहुत है आगे
वक्त से जाओ अगर जाना

रेल जीवन की रहे तेज़ मगर
लाल झंडी पे ठहर जाना है

हम तो खतरों के खिलाड़ी ठहरे
राह मुश्किल है, मगर जाना है

हमने पहचान सभी की कर ली
वक्ते मुश्किल तो गुजर जाना है

एक पत्थर को सदा दूं ‘अरशद’
इससे बेहतर मेरा मर जाना है
————————————

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